ऑरा विज्ञान (छायापभा)
एवम् आधुनिक आयुर्वेदिक चिकित्सा - हमारे सूक्ष्म शरीर
का ज्ञान
वैद्यकीय सेवा देनेवाले अॅलोपथी, आयुर्वेद, होमिओपथी, उनानी, नॅचरोपथी
के लिए
आभामण्डल या
छायाप्रभा (सूक्ष्म शरीर की फोटोग्राफी)
सेन्टर फॉर बायोफिल्ड
इव्हॅल्युएशन (आभामण्डल विश्लेषण एवं
संशोधन केन्द्र) थाने (मुंबई)
बायोफिल्ड
:- सभी सजीव प्राणी
और निर्जिव वस्तूओं के आस-पास
ऊर्जावलय,
आभामण्डल या छायाप्रभा
(सूक्ष्म शरीर की
फोटोग्राफी)
इव्हॅल्यूएशन
:- ऊर्जासे जानकारी या स्वास्थ्य
की चिकित्सा
। अधिक ऊर्जा
- अधिक स्वास्थ्य।
आभामण्डल का विज्ञान
एवं छायाप्रभा (आयुर्वेद)
चिकित्सा
हमारा प्राचीन वैदिक
विज्ञान बहुत प्रगत
था। आम भाषा
में जीवित या
निर्जीव वस्तूओं के चारों
ओर एक विद्युत
चुंबकिय क्षेत्र है, इसे
आभामण्डल/ऊर्जातरंग/प्रभावल/ऊर्जाक्षेत्र
से नामित किया
गया है। यह
शास्त्र सूक्ष्म होने के कारण
हम इसे अपनी
आंखो से नहीं
देख सकते।
आयुर्वेद (पांचवा वेद
- जीवन के लिए
स्वास्थपुर्ण लंबी आयु
का विज्ञान) यह
ऋग्वेद का उपसमूह
है। हमारा ऋग्वेद
25000 हजार साल
पूराना है। उस
समय हमारे प्राचीन
संत-ऋषीमुनीओं ने
लंबी तपस्या करके
इस मानव शरीर
का रहस्य सिखा
था। हमारे शरीर
को बिना
काटे शरीर
के अंग, ग्रन्थियों
की जगह, उनकी
कार्यपध्दती और उन्हें
मिलनेवाली ऊर्जा इनका रहस्य
जान लिया था। इसके
बाद शरीर को
लगनेवाली ऊर्जा का स्त्रोत
और वैश्विक ऊर्जा
यानी ब्रह्यांड का
रहस्य दुनिया के
सामने लाया। (पिंड
से ब्रह्यांड का
नाता) उन्होंने कहा
है की भौतिक
शरीर जो हमारी
ऑंखों के लिए दृष्यमान
है उसे स्थूल
या इंद्रिय शरीर
कहा जाता है
। वह
अन्नमय कोष से
बना है। लेकीन
हमारे ऑंखों को
न दिखाई देनेवाला
सूक्ष्म या लिंग
देह, प्राणमय, मनोमय,
विज्ञानमय और उन्हें
चलानेवाला आनंदमय कोष से
तयार हुआ है।
इस सूक्ष्म देह
को वैश्विक ऊर्जा
और चैतन्य शक्ती
मिलने के लिए हमारे
प्राणमय कोष मे
7 प्रमूख चक्र (एनर्जी झोनस्)
और 72000 नाडियाँ
(मेरिडियन्स ) है। यह
सूक्ष्म शरीर हमारे
भौतिक शरीर को
चलाता है। इसलिए
सूक्ष्म शरीर का
अध्ययन (अभ्यास) को स्वास्थ्य
और अध्यात्मिक प्रगति
का अध्ययन माना
जाता है।
1949 में
डा. किरली ऑन
ने किरलीअन फोटोग्राफी
की खोज की।
सर हॅरी ओल्डफिल्ड
ने 1979 में
पॉलिकॅन्ट्रास्ट इन्टरफेअरन्स फोटोग्राफी विकसित की।
शरीर की चुंबकीय
ऊर्जा के कारण
सफेद रोशनी का
पृथ:करण हो
के विभिन्न रंगो
मे देखने की
प्रणाली है। इस
फोटोग्राफी ने यह
सिध्द किया है
की, कौनसी बिमारी
शरीर में कहाँ
पर है यह
दिखाई देने से
पहले वह
आभामण्डल पर स्पष्ट
दिखाई देती है।
शरीर में होनेवाली
बिमारी यह शरीर
को मिलनेवाली ऊर्जा
के असंतुलन के
कारण होती है।
उपेक्षित बिमारी का परिणाम
बडे व्याधी में
होता है। सूक्ष्म
शरीर में से
ऊर्जा के अध्ययन
पर दुनिया भर
में विविध दवाई
और उपचार प्रणाली
विकसित हुई है।
यह शरीर की
प्राकृतिक रोग प्रतिकारशक्ती
को बढ़ावा देने
का काम करती
है। बिघडा हुआ
ऊर्जासंतुलन पूर्ववत हो जाता
है और रोगों
का जड से
उच्चाटन होता है।
आभामण्डल देख के
व्याधी शरीर में
कहाँ पे है
और कहाँ पे
आनेवाली है एवं
उसके लिए उपचार
संशोधन के लिए
स्वतंत्र पध्दती बायोफिल्ड स्कॅन
नाम से हमारे
केन्द्र ने विकसित
की है।
इसमें ऊर्जा के
केन्द्र और प्रवाह
देखने के बाद
चा* तथा नाडियों
की कल्पना स्पष्ट
हुई है। शरीर
में से बाहर
निकलने वाले बायोफोटोन्स
(BIOPHOTONS) देखे जाते
है और शरीर
के अंदरुणी कोशिकाओं
तथा अंगो की
स्वास्थ की जानकारी
मिलती है। इसका
अध्ययन करते समय,
यह पाया जाता
है की, शरीर
के सात प्रमुख
चक्र और ऊर्जावाहक
नाडियाँ इनका यहाँ संबंध
है। पंचकोष और
चक्र का संबंध
हमारे मानसिक भावनिक
व अध्यात्मिक अस्वास्थ
से है। हमारे
मानसिक भावनिक व अध्यात्मिक
अस्वास्थ से सात
प्रमुख चक्र और
ऊर्जावाहक नाडियाँ मे बदलाव
होता है। उसे
स्पष्ट रुपसे देखा जाता
है। इस बदलाव
का अध्ययन ही
आभामण्डल के चिकित्सा
का अभ्यास (अध्ययन)
है। इसलिये इसे
स्वास्थका अभ्यास कहते है
और यह फोटोग्राफी
संपुर्ण शरीर चिकित्सा
के रुपमे डाक्टर,
वैद्य तथा ऊर्जाउपचारक
(हिलर्स) इस्तमाल कर रहे
है। इसके रिपोर्ट
से वे संतुष्ट
है।
यह भारतीय
प्राचीन शास्त्र दुर्लक्षीत है।
आज की आधुनिक
जीवनशैली में, इस
दूर्लभ, सूक्ष्म और प्रभावी
खोज (ज्ञान) की
आवश्यकता है। आज
भारत में रेकी,
संगीत, क्रिस्टल, एक्यूपंक्चर/एक्यूप्रेशर
और अन्य प्राचीन
तरीकों का उपयोग
बढ रहा है,
क्योंकी आजके वैद्यकिय
शास्त्र में
स्थूल शरीर को
अनेक अंगो से
बना हुआ शरीर
मानते है और
दुषित अंगो कों
ठिक करना या
बदल देना ऐसा
विचार यहाँ पे
होता है।
लेकिन हमारा शरीर ऊर्जा
का है। उसके
लिए ऊर्जा का
उपाय ही ठिक
है। जैसे सब्जी
में नमक कम
हो, तो उसमें
नमक के अलावा
दूसरा कुछ भी
पदार्थ उपयोगी नहीं है।
ध्यान सबसे अच्छा
ऊर्जा उपचार है।
हमारे पास इसके
बहोत सारे सबूत
है। आनेवाले अगले
दस सालों में
हम हर जगह
आयुर्वेद/होमिओपथी/रेकी/संगीत/क्रिस्टल/एक्यूपंक्चर/एक्यूप्रेशर
के क्लिनीक देखेंगे।
इन सभी उपचार
विधियों के लिए
शरीर का ऊर्जा
फोटो लेने की
आवश्यकता है। इससे
अधिक जानकारी इकठ्ठा
करने और सबूत
तयार करने के
लिए यह संशोधन
केन्द्र कार्यरत है। इस
केन्द्र में कई
विशेषतज्ञ डॉक्टरों ने अपने
आभामण्डल की तस्वीरें
लेकर हमें प्रोत्साहित
किया है।
आधुनिक वैद्यकिय शास्त्र
में सूक्ष्म शरीर
का कोई अध्ययन
नहीं है, इस
वहज से यह
बहूत अपूर्ण है।
अन्नमयकोष (स्थूल शरीर) की बिमारीयाँ दिखाई
देती है और
इसका इलाज होता
है। परन्तू प्राणमयकोष और मनोमय
कोष में व्याधी/बिमारी दिखाई न
देने के कारण
उपचार पध्दती विकसित
नहीं हुई है।
मेडीकल रिपोर्टस् नॉर्मल (सामान्य)
आते है। रोग
के लक्षण नहीं
जाते है। इसलिए
उनके पास चक्र
से संबंधित मानसिक,
भावनिक, सामाजिक और आध्यात्मिक
स्तरों के समस्याओं
के लिए कोई
प्रशिक्षण नहीं है।
। इसलिये यह
कह सकते है
कि आभामण्डल विज्ञान
व चिकित्सा (Biofield
Scan and Interpretation Technology) एक
निदानात्मक शास्त्र (Diagnostic Tool ) के
रुप मे विकसित हुई है।
आज विश्व
स्वास्थ्य संगठन (WHO)
ने चेतावनी दी है की 2011 और 2021 के बीच, दुनिया में मानसिक और भावनिक समस्याऍं (बिमारी)
अधिक स्तरपर देखी जाएगी। इसलिए इस विषय की जानकारी के लिए सूक्ष्म शरीर की फोटोग्राफी
की आज आवश्यकता है।
आज इस केन्द्र में 1400 सो लोगों के 45 हजारसे
भी जादा ऊर्जाचित्र (बायोफिल्ड स्कॅन) उपलब्ध
है। इस प्रकार
आभामण्डल के विज्ञान
पर संशोधन किया
जा रहा है। यह
संशोधन के निष्कर्ष
से आभामण्डल विज्ञान
के स्पष्ट सबूत
मिले है। इससे
यह दिखाई देता
है की, हमारा
प्राचीन वैदिक विज्ञान कितना
प्रगत था। इसलिए
इस सेन्टर के
द्वारा आभामण्डल विज्ञान और
छायाप्रभा एवम् आयुर्वेद
चिकित्सा पध्दत इस विषय पर
हर जगह व्याख्यान
तथा कार्यशाला का
आयोजन किया जाता
है और प्रसार
का कार्य किया
जाता है।
इस प्रकल्प
(परियोजना) के लिए
आपके सहयोग की
उम्मीद है। यह
नम्र विनंती है।
1) इस विषय के अधिक
जनजागृती के लिए बॅनर/सूचना पत्र लगाने की संमती देकर सहयोग करे।
2) आभामण्डल विज्ञान
एवं चिकित्सा यह पूस्तक रूप सें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहचाए।
3) आफ सम्पर्क में
से सोसायटी, कॉलेज, अन्य संस्था इ. जगहों पर इस व्याख्यान को आयोजित करें।
4) आप खूद इस कार्य
मे शामिल होकर योगदान करे।
अधिक जानकारीके लिये
केन्द्र का पता
:-
बी/102, अनुरूप सोसायटी, समतानगर, पोखरण रोड
नं. 1 ठाणे (प)
संपर्क 9969679160,
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